पिछले दिनों अपनी छोटी सी लाइब्रेरी में उलटते-पलटते नजर सफेद रंग की पुरानी डायरी पर पड़ी। पुरानी यादों को ताजा करते हुए नजर नेताजी का इंटरव्यू नामक कविता पर गई। यह कविता मैंने २८ जुलाई १९९९ को लिखी थी। जहां तक स्मरण शक्ति पर दबाव डालता हूं तो शायद यह कविता भागलपुर में रहने के दौरान लिखी गई थी। सोचने के लिए विवश होता हूं कि इस कविता को मैंने उस दौर में लिखा था जब ना तो मैंने कभी सोचा था कि पत्रकारिता में आउंगा और न ही साहित्य में रूचि थी। साइंस का छात्र था और उसी दुनिया में मस्त था। हूबहू कविता आपके सामने है। आज के दौर में भी प्रासंगिक है। ...विनीत
नेताजी का इंटरव्यू
एक पत्रकार ने एक नेता से सवाल किया
सांसद बनने का क्या है राज
नेताजी मुस्कराए और बोले
चूकि मेरे इलाके में है नपुंसकों का समाज।
दूसरा सवाल था
नेताजी क्या होगा आपका सबसे पहला काम
नेताजी पान चबाते हुए जवाब दिया
लिखवाउंगा घोटालेबाजों में अपना नाम।
पत्रकार ने पूछा
आप अपने कोष से किस काम में देंगे पैसा ज्यादा
नेताजी अपराधी टाइप के एक व्यक्ति से कंधा मिलाकर बोले
जिस काम से अपराधियों का होगा फायदा।
अगला सवाल पत्रकार ने दागा
इस बार मंत्री पद पाने की बारी किसकी
नेताजी शराब का घूंट लेते हुए कहा
जिस सांसद के पास होगा ज्यादा व्हीस्की।
पत्रकार बौखलाया और अगला सवाल दागा
इस बार प्रधानमंत्री बनने की किसकी है बारी
नेताजी अपना मुंह बगल में बैठी एक लड़की के गाल से सटाते हुए कहा
जिसके साथ होगी सबसे ज्यादा चरित्रहीन नारी।
खुशी-खुशी आया था इंटरव्यू लेने नेताजी का पत्रकार
लौट रहा था खीज कर लेकिन सोच रहा था
कल सबसे ज्यादा बिकेगा हमारा अखबार।
2 comments:
kawita satik hai..
netaon ki albeli dunuya hoti hai janab..
aur haan aapne to kaphi pahle hi use jaan lia thaa.....
The poem is really awesome... It is the true picture of todays politicians... The time you wrote this poem,you were not linked to any kind of politics but now since its been long that you have been related to this field I expect something far much better than this which will reveal a politician from their core.......
good luck
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