12/30/2007

पृथ्वी पर गहराता जलवायु संकट



आगरा से छपने वाले अकिंचन भारत के सम्पादकीय पेज पर अग्रलेख मी मेरा एक लेख २५ दिसम्बर,२००७ को छपा है। 'पृथ्वी पर गहराता जलवायु संकट ' नामक इस लेख में कुछ खास विन्दुओं पर गौर फ़रमाया गया है। दो भागों में हूबहू लेख आपके सामने है।.... विनीत


पृथ्वी पर गहराता जलवायु संकट


विनीत उत्पल

पिछले दशक से अंतरारास्त्रीय जगत में जलवायु परिवर्तन को लेकर पर्यावरणविदों की चिंताएँ उभर कर सामने आयी हैं। कभी वायुमंडल में ग्रीन हॉउस गैस कार्बन दी आक्साइड की मात्रा तो कभी दक्षिणी समुद्र की हवाओं में हो रहे परिवर्तन से भी वैग्घनिकों को गहरे स्तर पर सोचने के लिए मजबूर किया है। यदि जलवायु के विभिन्न पहलुओं को देखा जाये तो पिछले दस वर्षों में उत्तरी भूभाग में स्थित समुद्रों की कार्बन आक्साइड सोखने की छ्मता घटी है। समुद्र के जलस्तर में बढोतरी हो रही है। बावजूद इसके दुनिया के कई इलाके ऐसे हैं, जहाँ लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। इतना ही नही, लोगों के शरीर के प्रतिरोधक छ्मता में भी लगातार कमी आ रही है।

जलवायु परिवर्तन से जुडे कई मसलों को लेकर इंडोनेशिया के बली में तीन दिसम्बर को पूरी दुनिया के बडे-बडे दिग्गजों ने बैठक की। विभिन्न मामलों पर जमकर बहस हुई, मतभेद भी उभरकर सामने आये। बातचीत हुई, सहमती बनी, कई मुद्दे अनछुए भी रहे। बैठक में जिन मामलों पर बातचीत हुई और सहमति हुई, उन पर विचार-विमर्श अभी भी चल रह है। लेकिन इससे इतर, बैठक के ठीक छः दिन पहले २७ नवंबर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा पूरी दुनिया में जरी ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट २००७--०८ की रिपोर्ट काफी चौकाने वाली हैं। इस रिपोर्ट को ब्राजील में एक भव्य समारोह में वाहन के राष्ट्र पति इनको लूला द सिल्वा और सपन के इंटर नेशनल कोर्पोरेशन के राज्य सव्हिब लेयर पेजिन ने जारी किया।

जारी....

आभार- अकिंचन भारत, आगरा

12/27/2007

आख़िर किस हाड मांस की बनी है किरण बेदी


आखिरकार किरण बेदी पुलिस की नौकरी छोड़ थी। भारतीय पुलिस सेवा की अपनी 35 साल के दौरान उन्होने जिस तरह कई बेहतरीन काम कया और अक्सर खबरों में रही यह सभी के लिए यादगार रहेगा।

बचपन में जेनरल नोलेज याद करते समय देश की पहली आईपीअस का नाम किरण बेदी को याद करता रह , लेकिन दैनिक जागरण में कालम लिखने के दौरान उनसे बातचीत और रांची से निकलने वाले अख़बार प्रभात खबर में उनके बारे में मैंने जीना ऐसे सीखा कालम में लिखने के दौरान उन्हें जाना। उनकी कड़क आवाज और अलग सोच भीड़ से अलग करती है।

आज इंटरनेट खंगालते-खंगालते अचानक जागरण में लिखा मेरा कालम दिख गया। उसे पढ़ते समझ में आने लगा की किरण बेदी का पुलिस नौकरी छोड़ना आश्चर्य नहीं है। क्यों न आप भी इसे पढें। पेश है उनसे बातचीत; मूल्यों से समझोता करके सफलता तो पाई जा सकती है। पद और पैसा भी कमाए जा सकते हैं पर इससे आंतरिक ख़ुशी नहीं मिल सकती है। सही कदम जहाँ आपको सफलता दिलायेंगे वही गलत कदम सबक होंगे।


खुद लें अपने निर्णय


भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने १९७२ में इस सेवा में आने के बाद अपनी काय्र्कुशालता का लोहा मनवा दिया । वह एशियन टेनिस चैम्पियन भी रही। उन्हें मैग्सेसे अवार्ड, जर्मन फौंदेस्शन के जोसेफ ब्यास अवार्ड के अलावा मदर टेरेसा अवार्ड और फिक्की अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चूका है। इस बार जोश के पाठकों को सफलता का सूत्र बता रहीं हैं सुश्री बेदी-

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खुद लें अपने निर्णय