12/27/2007

आख़िर किस हाड मांस की बनी है किरण बेदी


आखिरकार किरण बेदी पुलिस की नौकरी छोड़ थी। भारतीय पुलिस सेवा की अपनी 35 साल के दौरान उन्होने जिस तरह कई बेहतरीन काम कया और अक्सर खबरों में रही यह सभी के लिए यादगार रहेगा।

बचपन में जेनरल नोलेज याद करते समय देश की पहली आईपीअस का नाम किरण बेदी को याद करता रह , लेकिन दैनिक जागरण में कालम लिखने के दौरान उनसे बातचीत और रांची से निकलने वाले अख़बार प्रभात खबर में उनके बारे में मैंने जीना ऐसे सीखा कालम में लिखने के दौरान उन्हें जाना। उनकी कड़क आवाज और अलग सोच भीड़ से अलग करती है।

आज इंटरनेट खंगालते-खंगालते अचानक जागरण में लिखा मेरा कालम दिख गया। उसे पढ़ते समझ में आने लगा की किरण बेदी का पुलिस नौकरी छोड़ना आश्चर्य नहीं है। क्यों न आप भी इसे पढें। पेश है उनसे बातचीत; मूल्यों से समझोता करके सफलता तो पाई जा सकती है। पद और पैसा भी कमाए जा सकते हैं पर इससे आंतरिक ख़ुशी नहीं मिल सकती है। सही कदम जहाँ आपको सफलता दिलायेंगे वही गलत कदम सबक होंगे।


खुद लें अपने निर्णय


भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी ने १९७२ में इस सेवा में आने के बाद अपनी काय्र्कुशालता का लोहा मनवा दिया । वह एशियन टेनिस चैम्पियन भी रही। उन्हें मैग्सेसे अवार्ड, जर्मन फौंदेस्शन के जोसेफ ब्यास अवार्ड के अलावा मदर टेरेसा अवार्ड और फिक्की अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चूका है। इस बार जोश के पाठकों को सफलता का सूत्र बता रहीं हैं सुश्री बेदी-

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