राग दरबारी के चर्चित लेखक श्रीलाल शुक्ल को पद्म सम्मान
हिन्दी बोलने वाले, पढ़ने वाले और इससे जुडाव रखने वालों के लिए आज सुखद अहसास हुआ होगा। राग दरबारी उपन्यास से अपनी पहचान बनने वाले श्री लाल शुक्ल को पद्म भूसन मिलने हिन्दी एक मायने रखता है।
उत्तर प्रदेश के अत्रोली गाँव में ३१ दिसंबर १९२५ को जन्मे शुक्ल भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी हैं। राग दरबारी के लिए १९६९ में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल था। उस वक्त उनकी उम्र ३४ साल थी।
राग दरबारी का अंगरेजी सहित कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चूका है। भारत में रह रहे ब्रिटेन की प्रसिद्ध पत्रकार ट्रिलियन राइट ने उसका अंगरेजी में अनुवाद किया, जिसे पेंगुईन्न ने प्रकाशित किया था। उनकी प्रमुख कृति में सूनी घटी का सूरज, अज्ञात वास , सीमायें टूटती हैं, मकान, पहला पड़ाव शामिल हैं।
शुक्ल को व्यास सम्मान और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का शीर्ष सम्मान भी मिल चूका है।
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