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फिल्म बागबान में गायिका ऋचा शर्मा ने बेटी की विदाई गीत अपने सुरों में पिरोया है। गीत के सुर और बोल ऐसे कि हर कैसी की आँखों में आशू ला दे। यह वही ऋचा शर्मा हैं, जिसने पिछले दिनों रिलीज हुई गोल, आजा नच ले, savariya का टाइटल संग , ओऊम शांति ओऊम में गाना गया है। जल्द ही, उसकी आवाज राजकंवर की सदियाँ, बाबी देयोल की चमकू और श्याम बेनेगल की महादेव में सुनने को मिलेगी।
ऋचा को जानने और समझने का मौका फरीदाबाद में रहने के दौरान मिला। वह वहीं की रहने वाली है। आज दिल्ली वाले मोबाइल नम्बर के inbox से कुछ मैसेज hata रहा था। अचानक ऋचा शर्मा का मैसेज सामने आ गया। भले ही यह निजी मैसेज हो सकता है, इसमें कुछ कर गुजरने वालों की सादगी नजर आ रही है।
उनका मैसेज है...
हाय, विनीत मैं दिवाली ke
मौक़े
पर शहर में हूँ, जब फुरसत हो जाये तो कॉल करना।
मौक़े
पर शहर में हूँ, जब फुरसत हो जाये तो कॉल करना।
गलती से आज मोबाइल से उन्हें कॉल चला गया। मुझे लगा खामखा उन्हें परेशां कर दिया. मैंने झट से कॉल कटा और और एक मैसेज भेज दिया. पर, थोडी देर में ऋचा जी का कॉल आ गया। आख़िर मैंने कॉल रिसीव किया.हाल-चाल जाना, तमाम तरह की बाते हुई और फिर अलविदा। जहाँ तक मैसेज की बात है, दिवाली के मौक़े पर मैं जयपुर में छोटी बहन के पास था। २००७ में दिवाली वहीं बीती थी। उसी दिन, जयपुर से ऋचा शर्मा से बात की थी। उस वक्त फिल्म सवारिया और ओऊम शांति ओऊम रिलीज होने वाली थे। काफी खुश थीं, कहा विनीत मेरे गाने जुरूर सुनना। काफी पसंद आयेगी।
यहाँ यह जानकारी देने का मकसद सिर्फ मेरा इतना था, कि एक बेटी क्या नही कर सकती। आपको बता दूँ ऋचा आठ बहनों में एक है। तीन भाई हैं उसके। मैंने उसका इंटरव्यू हिंदुस्तान में शख्सियत कालम के लिए लिया था। बाद में आत्मीयता होने के बाद फरीदाबाद में उसने आपने घर पर बुलाया था। पापा तो काफी पहले गुजर गए थे। अपने भैया के यहाँ थी। भैया और भाभी से मिलवाया और जो भैया मुम्बई में साथ रहते हैं, उनसे भी परिचय कराया था। जमकर नास्ता किया, एक दूसरे के बारे में और जाना।करियर में आगे बढ़ने की kamnaa हुई.
कभी सोचता हूँ, घर इतना बड़ा, मुम्बई इतना बड़ा, फिल्मी दुनिया इतनी बड़ी, एक लडकी ने कैसे संघर्ष किया होगा। फिर भी इस मुकाम पर पहुचने पर कोई घमंड नही। आज भी जब वो फरीदाबाद आती है तो सबसे उसी तरह मिलती है, जैसे कल मिली हो।
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