फेस बुक हो या ऑरकुट सभी जगह चिरकुट
आज प्रमोद सिंह ने अजदक पर फेस बुक और ऑरकुट पर एक पोस्ट डाला है। इसे पढ़ते समय कुछ अपनी तो कुछ दोस्तों की बातें याद आ गयी। समय का तकाजा यह है की अपने आस पास रहने वालों, दोस्तों, रिश्तेदारों, पडोसियों से आपको न तो बात करने की फुरसत होती है और न ही चिंता। लेकिन इंटरनेट के मदद से दुनिया से दोस्ती करने का हाथ बढाते हैं। घर की मुर्गी दाल बराबर।
मैं भी इनसे अलग नही हूँ। दोनों सोशल नेटवर्क में मैं भी हूँ। पिछले दिनों एक पत्रकार मित्र अपनी पहचान छुपा मेरे स्क्राप बुक में अपना कमेन्ट दिया। काफी छानबीन करने पर आखिरकार इस पत्रकार के बारे में जानकारी प्राप्त कर फोन लगाया। यह अलग बात है की वह मेरे दोस्तों में शामिल है। यहाँ सवाल यह है की किसी को भी अपनी पहचान छुपाने की जरुरत क्यों पडी है। न तो ऑरकुट में उसने सही नाम लिखा है और न ही अपनी तस्वीर लगाई है। पूरा मामला न तो मेरे समझ मी आया और न ही मैंने उससे पूछा।
दूसरा मामला कुछ दिन पहले का है। जीटीवी पर शुक्रवार और शनिवार को देर शाम अन्ताक्छ्री प्रोग्राम आता था जिसकी एंकर हिमानी कपूर होती थी। उसने एक दिन बातचीत में बताया की फेस बुक में मेरे नाम से किसीने एक खाता खोल रखा है। उसमे मेरे इतने फोटो हैं की मैं सोच भी नही सकती। जबकि फेस बुक पर मैं कभी गयी ही नही। फ़िर जब मैंने उसका नाम फेस बुक पर खोजा तो पाया की वहां १०६ फोटो हिमानी की है। उसने बताया की ऑरकुट पर भी उसके नाम से कई फेक खाता है। वहां जाने पर भी चिरकुटई देखने को मिला।
यह बात सही है की हर मामले के सकारात्मक और नकारात्मक दो पहलू होते है। यह तो आप पर निर्भर है की आप किस साहिल को चुनते है।