5/19/2009

श्रीलंका लिट्टे समस्या पर गंभीर हो भारत

श्रीलंका लिट्टे समस्या पर गंभीर हो
दक्षिण एशिया में सबसे खराब स्थिति श्रीलंका की है। लिट्टे के नियंत्रण वाले आखिरी क्षेत्र पर कब्जा जमाने के मिशन के तहत श्रीलंकाई सेना और विद्रोहियों के बीच अब आमने-सामने संघर्ष हो रहा है। सेना की कार्रवाई के चलते लिट्टे अब बेहद छोटे क्षेत्र में सिमटकर रह गया है। संयुक्त राष्ट्र ने करीब एक सप्ताह के हमले में उत्तरी क्षेत्र के ‘नो फायर जोन’ में सैकड़ों तमिल नागरिकों की मौत को ‘बड़ा नरसंहार’ माना है। भारी तोपों के हमले में करीब तीन सौ नागरिक मारे गए हैं। खबरें आ रही हैं कि लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण लिट्टे के कब्जे वाले इलाके से भागने में सफल रहा है।
श्रीलंका की राजनीतिक स्थिति काफी चिंताजनक है। जिस कदर श्रीलंकाई सरकार ने लिट्टे के खात्मे के लिए कदम उठाया है। यह काफी हद तक 9/11 की याद दिलाता है। अमेरिका ने इसके बाद आतंकवाद के खात्मे के लिए न सिर्फ अपने देश में, बल्कि पूरे विश्व में व्यापक अभियान चलाया, लेकिन नतीजा काफी चिंताजनक रहा है। आ॓सामा को ढूंढने के बहाने अफगानिस्तान नेस्तनाबूद हो गया। सैनिक कार्रवाई में हजारों लोग बेघर हो गए, लेकिन आ॓सामा नहीं मिला। कहीं ऐसा ही हश्र श्रीलंका का न हो जाए। प्रभाकरण को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के बहाने वहां तबाही न फैल जाए। लोग बेघर होने के लिए मजबूर न हो जाएं, लेकिन वहां ऐसा हो रहा है। हजारों स्थानीय लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं। उन्हें विभिन्न कैंपों में रखा जा रहा है। विस्थापितों के लिए आवास की व्यवस्था की जा रही है। सैनिक अभियान से वहां काफी विध्वंस हुआ है। प्रभाकरण पकड़ा जाए या न पकड़ा जाए, लिट्टे खत्म हो या न हो- यह एक अलग मसला है लेकिन श्रीलंका की जनता इससे प्रभावित न हो, इस बात का ख्याल रखना जरूरी है। श्रीलंका सरकार के सामने युद्ध के बाद इससे कहीं अधिक चुनौती है। यहां लगातार मानवाधिकार हनन हो रहा है और सैनिक अभियान से विस्थापित लोग फिलहाल कैंप में रहने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ऐसे में सही तरीके से लोगों को बसाने के लिए पैसे के साथ भावुकता की भी जरूरत है। लोगों को बसाना आसान है, लेकिन उन्हें सही तरीके से बसाना कठिन है। जो भी सरकार, गैर-सरकारी और अंतरराष्ट्रीय संगठन उन्हें बसाने के काम में लगे हैं, उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि जिन लोगों का पुनर्वास हो, वे सौहार्द से रहें।
श्रीलंका मामले में चीन की भूमिका काफी संदिग्ध है और आने वाले समय में इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। एक आ॓र श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के बीच हो रहे युद्ध में साजोसामान चीन द्वारा मुहैया कराया जा रहा है, वहीं इस मामले में भारत की चुप्पी ठीक नहीं है। यही हाल नेपाल के मामले में भी है। भारत के सबसे निकटतम पड़ोसी देशों के मामले में चीन काफी रूचि ले रहा है और जमकर पैसा भी खर्च कर रहा है। ऐसे में भारत के अपने पड़ोसी राज्यों की राजनीति और वहां की स्थिति पर पकड़ कम होने की बात कही जा रही है, जो इस भूभाग के लिए ठीक नहीं है और भारत को इस आ॓र अधिक ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, दक्षिण एशिया में हो रहे घटनाक्रम पर भारत को गंभीर होने की जरूरत है।
तसनीम मिनाई,रीडर, नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉनफ्लिक्ट रिजोल्यूशन
प्रस्तुति : विनीत उत्पल

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