8/28/2009

चीनी नीयत संदिग्ध

चीन जिस कदर मीडिया और अपने थिंक टैंक को भारत विरोधी अभियान में लगा रखा है, इसके प्रति भारत को सचेत होना होगा। लोगों से बातचीत के साथ-साथ खास इंटरव्यू कर चीन लगातार अंग्रेजी भाषा में मीडिया की सहायता से भारत विरोधी बयान देने की कोशिश कर रहा है। जहां पूरा विश्व शांति को लेकर एक-दूसरे देशों के साथ हाथ मिला रहा है वहीं चीन भारत के साथ कूटनीतिक लड़ाई लड़ रहा है। यह बात सही है कि भारत को चीन के साथ विभिन्न मुद्दों को लेकर बातचीत जारी रखनी चाहिए लेकिन उन्हें चीन की नियत पर आंखें मूंदें नहीं रहनी चाहिए। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि उसका यह रवैया काफी अरसे से है लेकिन भारत-चीन समझौते और भारत-अमेरिकी समझौते के बाद भारत विरोधी मामले में उसने तेजी लाई है।
सुजीत दत्ता
सेंटर फॉर पीस एंड कांफ्लिक्ट रिजोल्यूशन
जामिया मिल्लिया
इस्लामिया, नई दिल्ली

पिछले दिनों इंटरनेट के जरिए चीन के थिंक टैंक ने भारत को तोड़कर छोटे-छोटे टुकड़ों को बांटने की बात कही, वह काफी खतरनाक है। चीनी की सरकारी मीडिया लगातार भारत विरोधी अभियान में शामिल रहा है और अब इस मामले में वहां के थिंक टैंक को भी शामिल किया जा रहा है। इसमे पीछे चीन का उद्देश्य भारत, चीन सहित दुनिया के तमाम देशों की सोच को बरगलाना है जिससे चीन के पक्ष में हवा का रूख किया जा सके। यह बात गौरतलब है कि इस तरह के मामले सामने आने के बाद चीन लगातार मामले का खंडन करता है लेकिन उस पर रोक लगाने को लेकर कोई कदम नहीं उठाता है। स्वतंत्रता से लेकर आज तक के इतिहास को पलटें तो चीन लगातार भारत के विरोध में बयान देता रहा है। विश्व के वर्तमान हालत ऐसे हैं और 1962 की लड़ाई के बाद फिलहाल चीन भारत के साथ युद्ध करने की स्थिति में नहीं है। लेकिन कूटनीतिक चाल चलने से उसे कौन रोकेगा?
1993 में चीनी राष्ट्रपति ज्योंग जेनिन के भारत आने पर आपसी विश्वास बढ़ाने के
साथ-साथ एक दूसरे के खिलाफ सैनिक कार्रवाई न करने को लेकर समझौता हुआ था। लेकिन इसके बाद से चीन लगातार सेना का दवाब भारत पर बनाए हुए है।

2003 में जब भारतीय प्रधानमंत्री चीन अटल बिहारी वाजपेयी चीन गए थे तो उस वक्त साझा समझौते पर दस्तखत किया गया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। यही वह वक्त था जब नाथुला दर्रा को खोला गया था और अरबों का व्यापार दोनों देशों के बीच हुआ था। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस व्यापार में भारत के मुकाबले चीन को काफी फायदा हो रहा है। भारत में चीन में निर्मित विभिन्न सामानों की बिक्री जबर्दस्त है। चीनी कंपनियों का कारोबार हजारों करोड़ों का है। भारत के बाजारों में चीनी उत्पादों के सस्ते होने के कारण जबर्दस्त मांग है जबकि भारत किसी भी हद तक उससे प्रतिस्पर्धा करने में नाकाम साबित हो रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार के मामले में सबसे खास बात यह है कि भारत ने कुल 17 विभिन्न प्रोडक्टों को चीन में बेचने की बात थी लेकिन चीन ने सिर्फ तीन में हामी भरी है।
1993 में चीनी राष्ट्रपति ज्योंग जेनिन के भारत आने पर आपसी विश्वास बढ़ाने के साथ-साथ एक दूसरे के खिलाफ सैनिक कार्रवाई न करने को लेकर समझौता हुआ था। लेकिन इसके बाद से चीन लगातार सेना का दवाब भारत पर बनाए हुए है। तिब्बत में भी लगातार दबाव बनाए हुए है। भारत-चीन संबंधों को लेकर एक बात और गौर करने की है कि जबसे भारत अमेरिका के नजदीक आया है, वह चीन की आंखों की किरकिरी बना हुआ है। खास कर न्यूक्लियर डील के बाद उसने काफी कड़ा रूख अपनाया है और वह लगातार आर्थिक मोर्चे के साथ-साथ सामरिक मोर्चे पर भारत को चुनौती देता आ रहा है। कभी तिब्बत को लेकर तो कभी अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली सीमा को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी उछालता रहा है।
हालांकि 2008 में भारतीय प्रधानमंत्री डॉ। मनमोहन सिंह की चीन यात्रा के दौरान वाणिज्य, व्यापार सहित तमाम मामलों पर दोनों देशों के बीच समझौते हुए। इससे अंदाजा लगाया जा रहा था कि दोनों देशों के बीच संबंध मधुर होंगे लेकिन इस बीच इंटरनेट पर भारत के टुकड़े-टुकड़े करने वाले लेख से चीन की भूमिका संदिग्ध लग रही है। ऐसे में भारत को चाहिए कि वह भी हर मोर्चे पर कड़ा रूख अपनाए। शांति को लेकर चीन का उतना ही दायित्व है जितना भारत का। पिछले चार-पांच सालों से मीडिया के साथ-साथ वहां की सरकार की जो भागीदारी रही है, इस मामले में भारत को अवश्य विचार करना चाहिए। इसके लिए चीन के साथ लगातार बातचीत जारी रखनी होगी। साथी ही भारत को दीर्घयामी योजना पर अमल करने की जरूरत है जिससे भविष्य में किसी भी तरह के संकट का सामना न करना पड़े।
प्रस्तुति : विनीत उत्पल
(राष्ट्रीय सहारा से साभार)

1 comment:

मुनीश ( munish ) said...

very comprehesive analysis ! i liked the way the point has been made . sadly, we Indians are not taking the problem seriously !