11/08/2009

पलायन के पक्षधर अर्थशास्त्री :सीता प्रभु

भारत ही नहीं वरन पूरे विश्व के अधिकतर देशों में जिस कदर इंजीनियर, डॉक्टर सहित प्रबंधन विशेषज्ञ पलायन कर रहे हैं, वास्तव में चिंता की बात है। ऐसे में, यूए नडीपी द्वारा जारी रिपोर्ट ने नई बहस खड़ी कर दी है। यही कारण है कि मानव विकास रिपोर्ट 2009 के जारी होने के बाद भारत स्थित असिस्टेंट कंट्री डायरेक्टर के। सीता प्रभु सुर्खियों में है।

करीब 307 मिलियन लोग ऐसे हैं जो अपने जन्मस्थान से कहीं दूर रह रहे हैं।

मुंबई विश्वविघालय में विकासशील अर्थशास्त्र पढ़ाने वाली सीता प्रभु की रूचि शुरू से ही विकास के मुद्दे को लेकर रही है। भारत सहित विदेशों के विश्वविघालय में अतिथि प्रोफेसर वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, विभिन्न राज्य सरकार सहित कई स्वयंसेवी संस्थाओं में बतौर आर्थिक सलाहकार रही है। आधे दर्जन से अधिक पुस्तकों की लेखिका सीता रिपोर्ट को लेकर मानती हैं कि अधिकतर प्रोफेशनल्स को बेहतर मौका नहीं मिलता। इस कारण उनका पलायन करना लाजिमी है। वह बताती हैं कि भारत के विभिन्न राज्यों से दूसरे राज्यों में करीब 42 मिलियन लोग पलायन करने के लिए मजबूर हैं।

गौरतलब है कि करीब 307 मिलियन लोग ऐसे हैं जो अपने जन्मस्थान से कहीं दूर रह रहे हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि 1950 से लेकर 2000 तक अमेरिकी विश्वविघालयों में विदेशी छात्रों की संख्या में 1।3 फीसद का इजाफा हुआ है।मुंबई विश्वविघालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर करने वाली सीता मृदुभाषी होने के कारण सहज ही आसपास के लोगों को आकर्षित कर लेती हैं। अर्थशास्त्र में ही पीए चडी करने वाली यह अर्थशास्त्री न सिर्फ यूए नडीपी में असिस्टेंट कंट्री डायरेक्टर है बल्कि वरिष्ठ सलाहकार भी हैं। वह राष्ट्रीय महिला आयोग से जुड़ी रही हैं और मानती हैं कि आम आदमी के विकास और उसकी रूपरेखा तय करने में यूए नडीपी द्वारा जारी होने वाली मानव विकास रिपोर्ट काफी अहम भूमिका निभाती है। यही कारण है कि यह रिपोर्ट हमेशा ही नीति-निर्धारकों को विचार करने के लिए मजबूर करता है।

2009 में मानव विकास रिपोर्ट को लेकर वह बताती है कि पलायन से सकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। जाहिर सी बात है कि जहां प्रोफेशनल्स के पलायन से उन इलाकों को फायदा तो होता ही है जहां वे काम करने के लिए जाते हैं। वर्तमान दौर में के सीता प्रभु समाज के उन लड़कियों और महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण के तौर पर उभरी हैं, जो समाज को नई दिशा देने का काम करती हैं। जहां अधिकतर बैंकिंग, प्रबंधन सहित विदेश सेवा प्रमुख के तौर पर सामान्य महिला पदों को सुशोभित कर देश, दुनिया और समाज को नई दिशा दे रही है, वहीं प्रोफेशनल्स के पलायन और प्रवासियों को लेकर रिपोर्ट जारी कर इस महिला अर्थशास्त्री ने बहस के एक नए मुद्दे को जन्म दिया है।

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