90 की शुरुआत में जिन गीतों ने हर जवां दिल पर अपनी जगह बनाई थी, वह थे ’कबूतर जा जा जा..‘, ’दिल दीवाना, बिन सजना के माने ना..‘, ’आते-जाते, हंसते- गाते..‘। ’मैने प्यार किया‘ के इन गानों को संगीतबद्ध किया था रामलक्ष्मण ने और गीत थे असद भोपाली के। उन्हें ऐसे गीतकार में शुमार किया जाता है जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में 40 साल तक का लंबा संघर्ष किया और जब उनका लिखा गीत सबकी जुबां पर था, गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड मिलना था तो वह बिस्तर पर थे।
10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए असद भोपाली का असल नाम असदुल्लाह खान था। पिता थे मुंशी अहमद खान। बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक था और फिर कब लिखने लगे, किसी को कानोकान खबर तक नहीं लगी। किस्मत कब आपके साथ होती है, यह किसी को पता भी नहीं चलता। यही बात असद साहब के साथ हुई। वे शायरी तो करते ही थे लेकिन हसरत थी कि फिल्मों के लिए गाने लिखें। संयोगवश, 1940 के अंतिम दौर में मशहूर फिल्म निर्माता फजली ब्रादर्स ’दुनिया‘ नामक फिल्म बना रहे थे। फिल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे पाकिस्तान चले गए। बाद में एस.एच. बिहारी, सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस.एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने 5 मई, 1949 को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। फजली बंधु और निदेशक हसनैन खासतौर से मुशायरे में मौजूद थे। असद भोपाली ने उस दिन अपने कलाम से महफिल लूट ली और साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद साहब को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फिल्म ’दुनिया‘ के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया। कुछ दिन बाद असद बंबई रवाना हो गए। असद भोपाली की पहली फिल्म बहुत बड़े बजट की ’अफसाना‘ थी, जिसमें अशोक कुमार, प्राण आदि थे। सालों साल तक वह एन.के. दत्ता, हंसराज बहल, रवि, सोनिक ओमी, ऊषा खन्ना, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल आदि संगीतकारों के साथ करते रहे। इस तरह असद भोपाली के फिल्मी सफर की शुरुआत हुई। ’दुनिया‘ के दो गीत ’अरमान लुटे, दिल टूट गया..‘ और ’रोना है तो चुपके-चुपके रो..‘ उन्होंने ही लिखे, लेकिन उन्हें ख्याति न दिला पाये। हालांकि काम मिलता गया लेकिन पहचान न मिली। हुस्नलाल-भगतराम के साथ फिल्म ’आधी रात‘ में दो ही गीत लिखे और दोनों को आवाज लता मंगेशकर ने दी। वे थे ’दिल ही तो है तड़प गया..‘ और ’इधर तो आओ मेरी सरकार..‘। बीआर चोपड़ा की फिल्म ’अफसाना‘ में ’वो आए बहारें लाए, बजी शहनाई..‘, ’कहां है तू मेरे सपनों के राजा‘, ’वो पास भी रहकर पास नहीं‘ आदि लिखा। असद भोपाली उस वक्त बंबई पहुंचे जब फिल्म संगीत में नया मोड़ आ रहा था। शंकर-जयकिशन की पहली फिल्म ’बरसात‘ भी इसी साल रिलीज हुई। शैलेंद्र और हसरत जयपुरी जैसे दो गीतकारों का आगमन हो चुका था। साहिर, मजरूह, प्रेम धवन, जांनिसार अख्तर जैसे गीतकार पहले से मौजूद थे। 1963 में लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल की पहली रिलीज फिल्म ’पारसमणि‘ का सबसे हिट गीत ’हंसता हुआ नूरानी चेहरा..‘ भी असद भोपाली का ही लिखा हुआ था। इसी फिल्म के गीत ’मेरे दिल में हल्की सी जो खलिश है.‘ और ’वो जब याद आए..‘ भी इन्होंने ही लिखे थे। 1964 की फिल्म ’आया तूफान‘ के सारे गीत हिट रहे और इन्हें असद साहब ने ही लिखे थे। 1965 की फिल्म ’हम सब उस्ताद है‘ में सफलता की वही कहानी दोहराई गई। संगीतकार रवि के साथ काम करने के दौरान असद भोपाली ने सदाबहार गीत ’ऐ मेरे दिले नादां.‘, ’मै खुशनसीब हूं..‘ लिखा। 29 दिसम्बर, 1989 को जब ’मैने प्यार किया‘ बंबई में रिलीज हुई तो फिल्म के सभी गीतों ने देशभर में धूम मचा दी। उन्हें साल के बेहतरीन गीतकार का फिल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया लेकिन उसे लेने वह नहीं जा सके। 40 साल के अरसे में करीब 100 फिल्मों के लिए असद साहब ने 400 गीत लिखे। नौ जून, 1990 को वह दुनिया को अलविदा कह ग |
9/27/2010
वो जब याद आए, बहुत याद आए.. असद भोपाली
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
असद भोपाली साहब अपने गीतों के लिए सदा याद किए जायेंगे ।
Post a Comment