8/22/2011

कोसीनामा-8: भ्रष्टाचार के कारण कोसी बनती काल



भागलपुर निवासी पूर्व सांसद डॉ. गौरीशंकर राजहंस ने कोसी की दशा और दिशा पर कुछ अरसा पहले 'दैनिक जागरण" में एक लेख लिखा था। उन्होंने इस मामला का जिक्र कुछ यूं किया था कि दिल्ली के कुछ टीवी चैनलों ने कोसी क्षेत्र का दौरा किया। उन्हें यह जानकर घोर आश्चर्य हुआ था कि उस क्षेत्र में कर्पूरी ठाकुर और भोला पासवान जैसे राजनेताओं की झोपड़ियां थीं और उनके परिवार के लोग अभी भी गरीबी में जी रहे हैं। उसी क्षेत्र में ऐसे गांव भी हैं जहां कुछ नेताओं ने बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं बना ली हैं। 
जब उनसे पूछा गया कि कोसी प्रोजेक्ट के पहले तो ये अट्टालिकाएं नहीं थीं तो वे भड़क गए। शायद कम लोगों को मालूम होगा कि जब कोसी को बांधने का प्रस्ताव जवाहर लाल नेहरू के पास गया तो उन्होंने कहा था कि चीन में स्थानीय लोगों ने श्रमदान करके उन नदियों को जिन्हें 'चीन का शोक" कहा जाता था, बांध दिया है। इससे भरपूर बिजली पैदा होती है और प्रलयंकर बाढ़ भी सदा के लिए समाप्त हो गई है। नेहरू ने कहा कि कोसी को भी बांधा जा सकता है और इस क्षेत्र में खुशहाली आ सकती है, यदि क्षेत्र के लोग श्रमदान करने को तैयार हो जाएं। यदि श्रमदान के द्वारा कोसी के मजबूत तटबंध बनाए जाते हैं तो जितना श्रमदान का मूल्य होगा, उतना ही पैसा केंद्र सरकार देगी। लोगों ने पूरे उत्साह से श्रमदान किया और इस तरह कोसी नदी को बांधा गया। बाद में कोसी नदी के रखरखाव पर भारी घोटाला हुआ। उस समय केंद्र सरकार ने कहा था कि यदि श्रमदान द्वारा कोसी तटबंधों का रखरखाव किया जाए तो केंद्र भरपूर आर्थिक सहायता देगा। 
70 के दशक में जब कोसी योजना पूरी हो गई और उसके भ्रष्टाचार की कहानी समाचार पत्रों में आने लगी तब केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के एक अवकाश प्राप्त जज की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया जिसने पूरी जांच पड़ताल करके यह उजागर किया कि कोसी प्रोजेक्ट के रखरखाव में भयानक धांधली हुई है और राजनेताओं, इंजीनियरों तथा ठेकेदारों ने करोड़ों रु पया डकार लिया। तटबंधों के रखरखाव के लिए इंजीनियरों ने राजनेताओं के साथ मिलकर करोड़ों रुपये के फर्जी बिल बनाए और उस पैसे को ईमानदारी से राजनेताओं  और इंजीनियरों ने बांट लिया। इस रिपोर्ट की एक कापी अभी भी पार्लियमेंट लाइब्रोरी में है। यदि कोई जांच आयोग मामले की गहराई में जाए तो सब कुछ साफ हो जाएगा।
जब-जब नेपाल की नदियों से उत्तर बिहार में बाढ़ आई है तो बिहार सरकार और केंद्र ने भरपूर राहत का सामान दिया है और बाढ़ पीड़ितों की आर्थिक मदद की है, पर 80 प्रतिशत राहत सामग्री और पैसे सफेदपोश राजनेताओं के लठैत मार ले गए। आज ये सफेदपोश राजनेता तरह-तरह के बयान देकर जनता और केंद्र सरकार को दिगभ्रमित कर रहे हैं। उन्हें जो कुछ कहना है वे जांच कमीशन को कहे। बेसिर पैर के बयान देकर राज्य सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ितों के राहत के जो कुछ काम चल रहा है वह भी ठप्प नहीं कराएं।"
ऐसे में सवाल है कि क्या भ्रष्टचार के कारण हर बार कोसी लोगों को लीलते रहेगी। क्या क्षेत्र के नेता इसी तरह अपनी तोंद बढ़ाते रहेंगे और आम जनता मरते रहेगी। क्या कोसी क्षेत्र के सभी सांसद मिलकर कोसी के लिए अगल से राहत कोसी या विशेष पैकेज की मांग केंद्र सरकार से नहीं कर सकते। जब कोसी के क्षेत्र से जीते नेता केंद्र सरकार की नीतियों को तय कर सकते हैं तो फिर क्यों नहीं खुद को भ्रष्टाचार से मुक्त होकर आम जनता को राहते दे सकते हैं।

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