विनीत उत्पल
प्रसिद्ध कमलेश्वर की एक कहानी है ‘दिल्ली में एक मौत’.
इसमें एक व्यक्ति की मौत पर उसके अंतिम संस्कार में जो लोग आते हैं, उन्हें मरने
वाले से मतलब नहीं था बल्कि वे मौके पर पहुंचकर अपना पीआर बढाने में जुटे होते
हैं. वैसे ही सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर बॉलीवुड सितारों का रवैया दिखा. उनके जो
निकट मित्र रहे, वे सदमें में हैं और गम में डूबे हुए हैं. अंतिम संस्कार में उनके
पारिवारिक सदस्यों के अलावा, अभिनेत्री कृति सेनन, श्रद्धाकपूर, रिया चक्रवर्ती, अभिनेता
विवेक ओबेरॉय, रणदीप हुड्डा, कांग्रेस
नेता संजय निरुपम, निर्देशक अभिषेक कपूर, सुनील शेट्टी, राजकुमार राव, वरुण
शर्मा आदि मौजूद रहे।
वहीं, सुशांत सिंह राजपूत के नाम को भुनाने वाले या तो उससे
अपनी नजदीकी या फिर अपनी समस्या को उसके सर मढ़कर भरपूर तौर पर भुनाने की कोशिश की.
जिस तरह मीडिया में छाने के लिए बॉलीवुड स्टार पक्ष में या विपक्ष में अनाप-शनाप
बयान देकर मीडिया में सुर्खियां पाई, राष्ट्रीय न्यूज मीडिया ने भी दी दिन तक इस
मामले को भरपूर तूल दी. यह मुंबई में हुई एक मौत पर स्टारडम की ब्रांडिंग का एक
नमूना है. दिलचस्प है कि जब बॉलीवुड की तथाकथित नामचीन हस्तियों के नाम सामने आने
लगे तो तमाम न्यूज चैनल ने सुशांत सिंह राजपूत की खबर को गायब ही कर दिया.
सुशांत
सिंह राजपूत की मौत के बाद जिस तरह से बॉलीवुड और मीडिया में कोहराम मचा, वह
फ़िल्मी दुनिया की कार्यप्रणाली पर अलग तरह से सोचने को विवश करता है. कंगना रनौत
ने भाई-भतीजे का आरोप लगाया. शेखर कपूर ने कहा कि मैं उसके दर्द को समझ सकता हूं.
निखिल द्विवेदी ने भी निशाना साधते हुए कहा फिल्म इंडस्ट्री का दिखावा मुझे
शर्मिंदा करता है. जाहिर-सी बात है कि बॉलीवुड इस मौत के मामले में दो भागों में
बंटा और हर कोई अपने-अपने नजर से सुशांत की मौत को आंकलन किया. सुशांत की मानसिक
परेशानी यानी डिप्रेशन, फिल्मों का न मिलना, गिरते करियर ग्राफ आदि को लेकर तमाम
बातें बॉलीवुड हलके में कही गई. यहां तक कि कुछ लोग कमाल खान की बातों को आधार
बनाकर ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान भी चलाया और भारतीय सिनेमा में नेपोटिज्म (भाई-भतीजावाद)
के विरोध में खड़े हुए. इसके तहत नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और हॉट स्टार जैसे
लोकप्रिय स्ट्रीमिंग कंपनियों से पूछा गया कि कुछ ख़ास मीडिया घरानों की फिल्मों को
अपने यहां प्रोमोट की प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से रोकें. उनका मानना रहा कि ये मीडिया
घराने फिल्म नहीं बनाते वरन प्रख्यात फ़िल्मी कलाकार के बच्चों को लांच करते हैं और
इस तरह फ़िल्मी दुनिया में भाई-भतीजावाद फैलाते हैं.
राष्ट्रीय
मीडिया सहित फ़िल्मी हलकों में यह बात साफ़ तौर पर कही जा रही है कि करण जौहर, सलमान
खान, भट्ट परिवार, कपूर फैमिली, यशराज फिल्म्स, भंसाली, सहित तमाम लोग उस एलीट
गैंग के सदस्य हैं और इनकी छत्रछाया के बिना किसी बाहरी लोगों को काम नहीं मिल
सकता है. दिलचस्प है कि फिल्म बनाने के मामले में भारत दुनिया के दूसरे नंबर पर है
लेकिन इसका नियंत्रण सिर्फ और सिर्फ आधे दर्जन लोगों के पास है. इस मामले में
सत्यता इसलिए भी दिखती है क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ‘सोनचरैया’ जब रिलीज
हुई तब उसने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा था, ‘बॉलीवुड में मेरा कोई गॉडफादर नहीं है और
यदि आप मेरी फ़िल्में नहीं देखेंगे तो मैं यहां से बाहर हो जाऊंगा.’ हालांकि
कांग्रेस नेता संजय सिंह निरुपम ने आरोप लगाया था कि मुंबई ने दबंग मीडिया घरानों के
दबाव में उनसे सात फ़िल्में वापस ले ली गईं.
मुंबई
की मीडिया के कारस्तानी दिलचस्प है जिसके तहत सुशांत सिंह राजपूत के खास मित्रों
को टारगेट किया गया और उन्हें सोशल मीडया के तमाम प्लेटफोर्म पर ट्रोल भी किया गया
और कहा गया कि उनके खास लोगों ने उनकी मृत्यु पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. यही कारण
है कि सुशांत के मित्र और अभिनेत्री कृति सेनन को अपने इनस्टाग्राम पर लिखना पड़ा, "कुछ मीडियाकर्मी अपनी संवेदनशीलता पूरी तरह
से खो चुके हैं. ऐसे समय में वह आपसे लाइव आकर कमेंट करने की गुजारिश करते हैं.
अंतिम संस्कार में जाते वक्त साफ तस्वीर क्लिक करने के लिए कार का दरवाजा ठोकना और
बोलना कि मैडम शीशा नीचे करो न. अंतिम संस्कार पर्सनल होते हैं. इंसानियत को काम
से ऊपर रखें. हम भी साधारण इंसान हैं और हमारी भी कुछ भावनाएं हैं. यह मत भूलो."
वहीं ट्रोल करने वालों को लेकर भी कृति सेनन ने कहा, “यह बहुत ही विचित्र है कि ट्रोल और गॉसिप करने
वाले लोग अचानक जागे और आपकी अच्छाईयों के बारे में बात करने लग जाए जब आप इस
दुनिया में नहीं है. सोशल मीडिया सबसे फेक और जहरीली जगह है. यदि आपने पब्लिकली
कुछ नहीं लिखा और आरआईपी पोस्ट नहीं किया तो समझ लिया जाता है कि आपको दुख नहीं है, जबकि रियलिटी में यही लोग सबसे ज्यादा दुखी
होते हैं. ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया रियल दुनिया है और रियल दुनिया फेक समझी
जाने लगी है."
कृति सेनन की छोटी बहन नुपुर सेनन ने लिखा कि हर कोई सुशांत की
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लिखने लगा और हम जैसे लोगों को लेकर ट्विटर पर लिखने
लगा, सन्देश भेजने लगा कि आप लोगों ने इंस्टाग्राम पर उसकी मृत्यु पर कुछ नहीं
लिखा. “एक पोस्ट तक नहीं डाला”. “तुम लोगों ने एक रिएक्शन नहीं दिया, कितने पत्थर
दिल हो तुम.” नुपुर आगे सवाल करती हैं कि आप की परमिशन हो तो सुकून से रो सकते हैं?
प्लीज. क्या स्वस्फूर्त या किसी के मातहत कार्य कर रहे ट्रोलआर्मी का यही काम है कि
वह किसी की मौत में एक मौका तलाशे और ट्रोल करे? हालांकि अभिनेत्री श्रद्धा कपूर,
अंकिता लोखंडे और रिया चक्रवर्ती ने लोगों के ट्रोल करने के बाद भी खामोशी बरती और
अपने गम को छुपाती रही हैं.
बहरहाल, सवाल यह है कि किसी के मरने पर मीडिया सिद्धांत या फिर
मीडिया नैतिकता क्या कहता है? क्या किसी के मरने को एक तमाशा बना दिया जाय और उससे
जुड़े उन लोगों की प्रतिक्रिया मांगी जाय जो उससे सीधे जुड़े हैं और गम में हैं?
सवाल मनुष्य की नैतिकता की भी है कि मरने पर अपनी पब्लिशिटी के लिए मृतक बड़े-बड़े
लेख लिखें, टीवी पर आयें और किसी के स्टारडम को भुना लें, जब तक कि कोई दूसरे
मामले सुर्खियां न बन जाय.
3 comments:
बहुत ही सही विश्लेषण किया है आपने. मामला संदिग्ध है. कुछ लोग परिवार वाद के कारण शुशांत की जान ले लिए. इन्हें माफी नहीं मिलनी चाहिए।
This is one of the best informative news sir👍
बहुत ही प्रासंगिक तर्क दिया है आपने
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